प्रेम के आवश्यक तत्व।

विषय: प्रतीक्षा (इन्तजार) विधा: डायरी (गद्य) (१) बाधाएं... प्रेम में रस घोलती हैं,उसे सरस बनाती हैं,जीवन्त बनाती हैं,जबकि बाधाओं के अभाव में प्रेम अत्यन्त नीरस हो जाता है,निष्प्राण हो जाता है,मात्र एक शब्द रह जाता है। (२)प्रतीक्षा... प्रेम का पोषण करती है,उसे पर्वत के समान उन्नत और सुदृढ़ बनाती है। (३)अश्रु... प्रेम में प्रेमी की सफलता प्रमाणित करते प्रमाण पत्र होते हैं। अतः प्रेम किया है तो प्रेम में होने वाले प्रत्येक अनुभव को जिएं, प्रेम में आपको ही नहीं, अपितु स्वयं शिव और शक्ति को भी अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा, कल्पों की प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। स्वयं शिव आदिशक्ति के वियोग में अनवरत रोए हैं, एक बालक की तरह विलख विलख कर रोए हैं... वियोग में उनकी स्थिति एक विक्षिप्त मनुष्य जैसी हो गई थी... तब जाकर आदिशक्ति को प्राप्त कर सके थे। उनका प्रेम आज भी प्रेमियों की पहली पसंद है, एक अनुकरणीय उदाहरण है। #मौलिक #स्वरचित लेखक: हरेंद्र सिंह लोधी। ग्राम व पोस्ट: श्यामों शमाशाबाद रोड, आगरा, उत्तर प्रदेश पिन कोड संख्या: २८३१२५