कृष्ण की चेतावनी - रामधारी सिंह दिनकर
मैत्री की राह दिखाने को सब को सुमार्ग पर लाने को दुर्योधन को समझाने को भीषण विध्वंस बचाने को भगवान हस्तिनापुर आए पांडव का संदेशा लाये
दो न्याय अगर तो आधा दो पर इसमें भी यदि बाधा हो तो दे दो केवल पाँच ग्राम रखो अपनी धरती तमाम
हम वहीँ खुशी से खायेंगे परिजन पे असी ना उठाएंगे
दुर्योधन वह भी दे ना सका आशीष समाज की न ले सका उलटे हरि को बाँधने चला जो था असाध्य साधने चला
जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है
हरि ने भीषण हुँकार किया अपना स्वरूप विस्तार किया डगमग डगमग दिग्गज डोले भगवान कुपित हो कर बोले
जंजीर बढ़ा अब साध मुझे हां हां दुर्योधन बाँध मुझे
~रामधारी सिंह दिनकर