किस्से दोस्ती के✨❤️

दोस्ती के कुछ किस्से भले ही आज यादों की कोठरी में जा बसे हैं , याद कर उन पागलपंती के लम्हों को ; हम रोते-रोते भी हंसे हैं... ना पढाई की चिन्ता, ना किसी बात का डर, होमवर्क चेक करवाते वक़्त करना अगर - मगर ... रूठना-मनाना, चिढ़ना - चिढ़ाना तो चलता ही रहता था , बिना बात किए इक दूजे से, दिल मचलता ही रहता था... टीचर को सताने और रिसेस से पहले ही टिफिन खाली करने का तो अलग ही किस्सा था, सच्ची यार; बचपन जिंदगी का इक नायाब हिस्सा था... हिस्ट्री क्लास में हम घोड़े बेच कर जो सोते थे , मैथ्स पीरियड में उतना ही सर पटक पटक कर रोते थे... क्लास के बाहर जाते ही टीचर के अंताक्षरी से महफ़िल की रौनक बढ़ाते थे बहुत याद आता है जब कैंटीन के समोसों के लिए हम सब भिड़ जाते थे... इक दूजे के टीफिन में तो हम सब की जान थी बसती , बहुत याद आती है वो स्कूल टाइम की फेयरवेल मस्ती… शब्दों में कैसे बयां करूं वो थे ही इतने खूबसूरत पल, पता ही न चला ; कब बन गए वो लम्हें हमारा "बीता हुआ कल".. - प्रीति गावरी©

Jun 15, 2021